संख्या-22/2017/869/18-2-2017-80(ल0उ0)/2017
प्रेषक,
अनिल कुमार,
प्रमुख सचिव,
उत्तर प्रदेश शासन।
सेवा में,
1-समस्त प्रमुख सचिव/सचिव उत्तर प्रदेश शासन।
2-आयुक्त एवं निदेशक, उद्योग उत्तर प्रदेश कानपुर।

सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन अनुभाग-2 लखनऊः दिनांक: 15 दिसम्बर, 2017

विषय-उ.प्र. सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति-2017 का प्रख्यापन।

महोदय,

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साशहन नीति-2017 लागू की गयी है। इस नीति के अनुक्रम में सूक्ष्मद, लघु एवं मध्यशम उद्यमों को गति प्रदान करते हुये इन उद्योगों को प्रोत्सामहित करने एवं इस क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार सृजित किये जाने तथा प्रदेश में पूंजी निवेश को आकनर्षित करने हेतु उत्तर प्रदेश सूक्ष्मथ, लघु एवं मध्य‍म उद्यम प्रोत्सातहन नीति-2017 का प्रख्याीपन निम्नरवत प्रस्तावित है, जिससे कि उत्तर प्रदेश देश के अग्रणी विकसित राज्यों में सम्मिलित हो सके।

2- उत्तर प्रदेश सूक्ष्मू, लघु एवं मध्यमम उद्यम प्रोत्साहन नीति-2017
2.1 प्रस्तावना

उत्तर प्रदेश 2,40,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। प्रदेश का क्षेत्रफल देश के भौगोलिक क्षेत्र का 7.3 प्रतिशत है तथा क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश देश में चौथा सबसे बड़ा राज्य है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी 19.98 करोड़ है, जो भारत की आबादी का लगभग 16.5 प्रतिशत है तथा भारत के सभी राज्यों में सबसे अधिक है। वर्ष 2015-16 में रु0 11,45,234 करोड़ के जी एस डी पी के साथ उत्तर प्रदेश भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका अंश देश की अर्थव्यवस्था में 8.4 प्रतिशत है।

प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों का महत्वपूर्ण योगदान है। यह क्षेत्र पूंजी निवेश, उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों की संख्या की दृष्टि से (लगभग 46 लाख; 8%) उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है, तथा रोजगार प्रदान करने में इस क्षेत्र का कृषि क्षेत्र के बाद दूसरा स्थान है। इस क्षेत्र का प्रदेश से होने वाले निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान है। हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद, इंजीनियरिंग गुड्स, कारपेट, रेडीमेड गारमेंट्स तथा चर्म उत्पादों के निर्यात में उत्तर प्रदेश निरंतर अग्रणी रहा है। देश के समस्त निर्यात में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 4.73% है।

प्रदेश में उद्यमिता, स्वरोजगार, एवं रोजगार प्रदान करने तथा औद्योगिक विकास एवं प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि में इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इस क्षेत्र की इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन देने हेतु नीति को क्रियान्वित करने का निश्चय किया गया है।

2.2 इस संबंध में भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 में सूक्ष्मं, लघु एवं मध्य,म उद्यमों को निम्नमवत परिभाषित किया गया है :-

(a) in the case of the enterprises engaged in the manufacture or production of goods pertaining to any industry specified in the First Schedule to the Industries (Development and Regulation) Act, 1951 (65 of 1951), as—
(i) a micro enterprise, where the investment in plant and machinery does not exceed twenty-five lakh rupees;
(ii) a small enterprise, where the investment in plant and machinery is more than twenty-five lakh rupees but does not exceed five crore rupees; or
(iii) a medium enterprise, where the investment in plant and machinery is more than five crore rupees but does not exceed ten crore rupees;

(b) in the case of the enterprises engaged in providing or rendering of services, as—
(i) a micro enterprise, where the investment in equipment does not exceed ten lakh rupees;
(ii) a small enterprise, where the investment in equipment is more than ten lakh rupees but does not exceed two crore rupees; or
(iii) a medium enterprise, where the investment in equipment is more than two crore rupees but does not exceed five crore rupees.

3- विज़न

● सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की अधिकाधिक नवीन इकाइयों की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश की पूंजी निवेश के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकर्षक क्षेत्र के रूप में स्थापना, परिणामस्विरूप 15 प्रतिशत वार्षिक विकास दर।

● नवीन इकाइयों में अधिकाधिक रोजगार सृजन तथा पूर्व से स्थापित इकाइयों में विस्तार एवं उन्नयन से रोजगार में 15 प्रतिशत वार्षिक विकास दर के साथ वृद्धि।

● उद्यमिता, रोजगार एवं प्रति व्यक्ति आय के मानकों पर क्षेत्रीय असमानताओं एवं समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य व्याप्त असमानताओं को कम करने का प्रयास।

● पूर्व से स्थापित इकाइयों के उन्नयन एवं उद्यमियों की समस्याओं के निराकरण के लिए उत्कृष्ट आधुनिक तकनीकी युक्त संवेदनशील प्रशासकीय व्यवस्था।

4- रणनीति

उक्त विज़न को साकार करने के लिए प्रदेश सरकार निम्न रणनीति के अनुरूप कार्य योजना का निर्माण करेगी:

लक्ष्य

● सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की वार्षिक विकास दर का लक्ष्य 15%

● इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की वार्षिक विकास दर का लक्ष्य 15%

उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निम्न महत्वपूर्ण दिशाएं चिन्हित की गई हैं:

● वर्तमान में विद्यमान उद्यमों के विस्ता्र एवं तकनीकी उन्नेयन के लिये संसाधनों की उपलब्धदता, अवस्थारपना सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण एवं निर्मित उत्पानदों के विपणन में सहायता।

● नवीन उद्यमों की स्थापना के लिए भूमि की सुलभ उपलब्धता, नवीन अवस्थापना सुविधाओं का विकास तथा विद्यमान सुविधाओं का उन्नयन।

● सुगमता एवं सहजता के साथ व्यापार करने के लिए अनुकूल औद्योगिक वातावरण का निर्माण।

● पर्यावरण संतुलन को दृष्टिगत रखते हुए स्थाई तथा समावेशी विकास।

● क्षेत्रीय असंतुलन की समस्या का समाधान करने की दिशा में बुंदेलखंड, पूर्वांचल एवं मध्यांचल में उद्यमों की स्थापना एवं उन्नयन को विशेष प्रोत्साहन।

● समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य असंतुलन को दृष्टिगत रखते हुए महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए विशेष प्रोत्साहन।

● निवेश के आकर्षण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन।

● सूचना एवं लघु उद्यमों के उत्पादों एवं सेवाओं की गुणवत्ता के विकास के लिए तकनीकी उन्नयन की योजनाएं।

● एक जनपद एक उत्पाद अवधारणा का विकास, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश के विशिष्ट उत्पादों की पहचान बनाना।

● मुद्रा, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, मेक इन इंडिया एवं भारत सरकार के अन्य मिशन मोड कार्यक्रमों एवं योजनाओं से समन्वित करते हुए प्रदेश सरकार की योजनाओं का निर्माण।

5- उद्यमों के लिए अवस्थापनाओं का सुदृढ़ीकरण एवं विकास

5.1 भूमि

5.1.1 वर्तमान में विद्यमान उद्योग विभाग के औद्योगिक आस्थानों एवं विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के औद्योगिक क्षेत्रों में रिक्त भूमि के तथा बंद हो गई इकाईयों की भूमि के इच्छुक उद्यमियों को आवंटन के लिए पूर्ण पारदर्शी व्यवस्था का सृजन किया जाएगा।

5.।.2 औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए वर्तमान में विद्यमान औद्योगिक आस्थानों एवं विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में इस हेतु निर्धारित शर्तों एवं नियमों के अधीन FAR को बढ़ाया जाएगा।

5.।.3 ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के विकास हेतु ग्रामसभा की उपलब्ध भूमि को लघु औद्योगिक आस्थान के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जाएगा, इसके लिए ग्राम सभाओं की 10 एकड़ से अधिक की भूमि चिन्हित कर उद्योग निदेशालय को पुनर्ग्रहीत कर नि:शुल्क हस्तांतरित की जाएगी। उस भूमि पर भूखंडों का विकास सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की मांग के अनुरूप उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साएहन निदेशालय द्वारा कराया जाएगा।

5.1.4 जिस ग्राम की भूमि पुनर्ग्रहीत की जाएगी, उस ग्राम से संबंधित विकासखंड के उद्यमियों को संबंधित औद्योगिक आस्थानों में उद्यमों की स्थापना के लिए प्राथमिकता पर भूखंड आवंटित किए जाएंगे।

5.1.5 आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे तथा प्रदेश में विकसित किए जा रहे अन्य कारीडोर्स में 5 किलोमीटर की दूरी के अंतर्गत ग्राम सभा की 5 एकड़ से अधिक भूमि एक जगह उपलब्ध होने पर उद्योग निदेशालय को मिनी औद्योगिक आस्थान विकसित करने के लिए यह भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी तथा इस क्षेत्र में 50% भूखण्डं सूक्ष्म तथा लघु उद्यमों के लिए आरक्षित होंगे।

5.1.6 सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को सरलतापूर्वक उद्यमों की स्थापना की सुविधा सुलभ कराने के उद्देश्य से प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक आस्थारनों में तथा यूपीएसआइडीसी एवं अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किए गए औद्योगिक क्षेत्रों में कम से कम 30% क्षेत्रफल सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए आरक्षित किया जाएगा।

5.।.7 बुंदेलखंड, पूर्वांचल तथा मध्यांचल तथा गौतम बुद्ध नगर एवं गाजियाबाद जनपदों को छोड़कर शेष पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र द्वारा 20 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के औद्योगिक पार्क एवं एस्टेट की स्थापना के लिए उत्त र प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2017 के प्रस्तर- 3.2.3.1, 3.2.3.2, 3.2.3.3 एवं 3.2.3.4 के अनुरूप सुविधाएं एवं प्रोत्साहन प्रदान किए जाएंगे। प्रत्येिक प्रथम खरीददार को प्रतिबन्धित उद्यमों को छोड़कर 100 प्रतिशत स्टा म्पं शुल्का में छूट प्रदान की जायेगी। साथ ही इस क्षेत्रफल के मध्य आने वाली ग्राम समाज की भूमि, उस भूमि के सर्किल दर पर निजी विकासकर्ता को उपलब्ध करायी जाएंगी।

5.1.8 निजी औद्योगिक पार्कों एवं एस्टेटट की स्थातपना के लिये विकासकर्ता को कृषि भूमि के क्रय के लिये अधिकतम सीमा जोत आरोपण अधिनियम (Ceiling of Land Holding Act) के अन्तअर्गत निर्धारित सीमा से अधिक भूमि के क्रय के लिये नियमों को अनुकूल बनाया जायेगा। साथ ही, राजस्वध संहिता की धारा-80 के अनुसार या समतुल्यी प्राविधान अकृषक भूमि घोषित कराने की आवश्ययकता नहीं होगी, अपितु उद्योग विभाग को इस आशय के आवेदन पर स्वीयकृति प्रदान की जायेगी। कृषि भूमि को औद्योगिक पार्क में प्रयोजन की उक्तय स्वी कृति के लिये कोई भू-उपयोग परिवर्तन शुल्कय नहीं लिया जायेगा।

5.1.9 प्रदेश में विद्यमान औद्योगिक आस्थानों में अवस्थापना सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए उस आस्थान के उद्यमियों के सहयोग से एसपीवी का गठन किया जाएगा तथा इस एसपीवी में उद्यमियों की सहभागिता के समानुपात में प्रदेश सरकार द्वारा योगदान किया जाएगा।

5.1.10 निजी क्षेत्र के अवस्थापना निवेश: उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2017 के प्रस्तरर 3.12 के अनुरूप सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के क्षेत्र में भी अवस्थापना निवेश के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी के सभी संभव कारगर तरीके अपनाए जाएंगे।

6- व्यापार करने में सुगमता अनुकूल वातावरण का सृजन एवं संवेदनशील प्रशासन

6.1 उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2017 के अनुरूप प्रदेश में स्थापित होने वाले नए सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिए भी आवश्यक विभिन्न स्वीकृतियों, अनापत्तियों तथा सहमतियों हेतु स्वतः प्रमाणन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे स्थापना के प्रारंभिक अवस्था में विभिन्न निरीक्षणों से निवृत्ति मिल सके, साथ ही उद्यमों की स्थापना सुगम हो सके।

6.2 सभी वांछित स्वीकृतियों, अनुमोदनों तथा अनुमतियों को उद्यमियों को ऑनलाइन प्रदान किये जाने की क्रिया विधि को सुनिश्चित किया जाएगा।

6.3 उद्यमियों की समस्या के एकल मेज की व्यवस्था के भाव के अनुरूप निराकरण के लिए जन समस्याओं के निस्तारण के पोर्टल के अनुरूप पोर्टल विकसित किया जाएगा तथा समस्याओं के निस्तारण के लिए अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा।

6.4 सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों व चलाई जा रही योजनाओं तथा कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन में (सुगठित) तकनीकी रूप से सक्षम तथा संवेदनशील प्रशासनिक मशीनरी का महत्वपूर्ण योगदान है। अतः योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संगठनात्मक संरचना को सुदृढ़ किया जाएगा। कार्मिकों की तकनीकी क्षमता के विकास के लिए तथा उनमें अपेक्षित संवेदनशीलता के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।

6.5 राज्य सरकार जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्रों को आधुनिकीकृत करेगी, जिनके द्वारा परामर्श देने हेतु सक्षम हेल्पडेस्क, परियोजना निर्माण तथा ऑनलाइन एकल खिड़की अनुमोदन आदि कार्यों का कुशलतापूर्वक संचालन किया जा सके।

7- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए पूंजी एवं ऋण का प्रवाह

राज्य में अधिकतम निवेश आकर्षित करने एवं अन्य प्रदेशों के सापेक्ष प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कुछ नियम एवं शर्तों के अधीन निम्नानुसार छूट अनुदान एवं वित्तीय सुविधाएं प्रदान करेगी:

7.1 जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्रों में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों एवं स्वरोजगार हेतु उत्सुक युवक एवं युवतियों के लिए विशेषज्ञ सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे बैकेबिल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो सके और उनका बैंकों से वित्त पोषण कराने में सुविधा हो सके। इस हेतु विशेषज्ञों का एक पैनल अनुमोदित किया जाएगा, जिससे प्रत्येक जनपद के जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्रों की देखरेख में इस सुविधा का लाभ उद्यमियों को प्राप्त हो सके। विशेषज्ञों को तैयार किए गए प्रोजेक्ट रिपोर्ट के सापेक्ष उनका वित्त-पोषण होने की दशा में ऋण राशि के 2% प्रतिशत के शुल्क अथवा वास्त्विक, जो कम हो, अधिकतम रू0 1.00 लाख सामान्यं और रू0 1.50 लाख महिला अथवा अनुसूचित जाति/जनजाति के उद्यमियों हेतु भुगतान विभाग द्वारा वहन किया जाएगा।

7.2 प्रदेश में स्थापित होने वाली सूक्ष्मर, लघु एवं मध्यमम उद्यमों की औद्योगिक इकाइयों को उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2017 के प्रस्तर 5.1 के अनुरूप स्टांप शुल्क से छूट प्रदान की जाएगी।

7.3 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों में सभी नई औद्योगिक इकाइयों को इकाई प्रारंभ होने के दिनांक के 5 वर्ष तक नियोक्ता के EPF के शत-प्रतिशत अंश की प्रतिपूर्ति राज्यो द्वारा की जाएगी।

7.4 उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2017 के प्रस्तर 5.3, 5.4, 5.5, 5.6, 5.7, 5.8, 5.9, 5.10 एवं 5.12 में दी गई सुविधाएं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों पर भी प्रभावी होंगी।

7.5 विकास प्राधिकरणों के अंतर्गत आने वाली कृषि भूमि के भू-उपयोग औद्योगिक में परिवर्तन कराने में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की इकाइयां परिवर्तन शुल्क से मुक्त रहेंगीं।

7.6 नए सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिए उत्पादन तिथि से 5 वर्ष हेतु रुपए एक प्रति यूनिट की दर से विद्युत मूल्य की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

7.7 सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिए रु0 2.00 करोड़ तक के कोलेटरल फ्री ऋण हेतु बैंकों द्वारा क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज हेतु लिए जाने वाले वन टाइम गारण्टी फीस तथा वार्षिक सेवा-शुल्क का भुगतान प्रदेश सरकार द्वारा बजट प्राविधान कराते हुए वहन किया जाएगा।

7.8 प्रदेश सरकार द्वारा अन्य वित्तीय संस्थानों की सहायता लेकर एक लघु, मध्यम उद्यम वेंचर कैपिटल फंड का सृजन किया जाएगा, जिसके द्वारा स्टार्टअप एवं ऊर्ध्वगामी लघु एवं मध्यम उद्यम को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

7.9 क्रियाशील सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को विस्तार एवं विविधीकरण हेतु प्रोत्साहित करने के लिए कतिपय शर्तों के अधीन नई इकाइयों के समान सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

7.10 विशेष योजनाएं

7.10.1 विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना क्रियान्वित की जाएगी। इस योजना के द्वारा मार्जिन मनी अनुदान एवं ब्याज अनुदान की सुविधा स्थानीय दस्तकारों तथा पारंपरिक उद्यमियों को पारंपरिक उद्योगों के विकास हेतु बैंक द्वारा ऋण प्राप्त करने पर उपलब्ध करायी जाएंगी।

7.10.2 प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए उद्योग तथा सर्विस क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना प्रारंभ की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को मार्जिन मनी अनुदान एवं ब्याज अनुदान सुलभ कराते हुए उनकी परियोजनाओं को आवश्यकतानुसार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना अथवा स्टैंड अप इंडिया योजना के साथ समन्वित किया जाएगा।

7.10.3 अनुसूचित जाति जनजाति एवं महिला उद्यमियों हेतु विशेष प्रावधान

(i) मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति हेतु क्रमश: 21 एवं 2% तथा महिलाओं हेतु 20% लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा।

(ii) पूर्वांचल मध्यांचल व बुंदेलखंड में क्रियान्वित होने वाली उत्तर प्रदेश लघु एवं मध्यम उद्योग ब्याज उपादान योजना के अंतर्गत 20% लाभार्थी महिलाएं होंगी।

(iii) भारत सरकार की स्टैंडअप योजना एवं मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में समन्वय स्थापित कर प्रत्येक बैंक शाखा क्षेत्र में कम से कम एक अनुसूचित जाति / जनजाति अथवा महिला उद्यमी को सूक्ष्म लघु तथा मध्यम उद्योग स्थापित करने में मदद की जाएगी।

8- क्षमता विकास एवं प्रशिक्षण

8.1 प्रदेश की जनसांख्यिकीय विभाजन का लाभ उठाने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि राज्य की युवा जनशक्ति उद्यमिता एवं व्यापारिक दृष्टि से कुशल व प्रशिक्षित हो। इस हेतु कौशल विकास की विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं को निम्नवत क्रियांवित किया जाएगा।

8.2 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के अंतर्गत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में उद्यमिता विकास संस्थान को संस्थित किया जाएगा। यह प्रशिक्षण संस्थान विभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं में प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करने एवं उसे क्रियान्वित करने के लिए अधिकृत होगा। उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को विभिन्न विभागों और संस्थानों के साथ समन्वय कर अपनी विशेषज्ञता का लाभ विकास के विभिन्न क्षेत्रों में प्रदान करने का अधिकारिक संस्थान रहेगा।

8.3 अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग के उद्यमियों के कौशल विकास पर विशेष बल देते हुए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने को प्रोत्साकहित किया जायेगा।

8.4 राज्य के सभी जिलों में उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उद्यमिता विकास संस्थान, लखनऊ इस उद्देश्य के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।

8.5 डिजाइन, विनिर्माण और विपणन में आधुनिक तकनीक पर कारीगरों और युवा उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए छ: हस्तशिल्प केंद्र स्थापित किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन, लखनऊ एक नोडल एजेंसी के रूप में इस प्रयोजन के लिए कार्य करेगा।

8.6 उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय के अधीन विभागीय प्रशिक्षण केंद्रों की समीक्षा कर उपयोगी प्रशिक्षण केंद्रों को क्रियाशील बनाया जाएगा।

8.7 प्रदेश सरकार द्वारा अन्य वित्तीय संस्थानों की सहायता लेकर एक एम.एस.एम.ई. लघु, मध्यम उद्यम वेंचर कैपिटल फंड का सृजन किया जाएगा, जिसके द्वारा स्टार्ट अप एवं उर्ध्वगामी लघु एवं मध्यम उद्योग को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

9- गुणवत्ता तथा मानक

तकनीकी के क्षेत्र में निरंतर हो रहे द्रुत विकास एवं पर्यावरण तथा तकनीकी मानकों के प्रति वैश्विक स्तर पर अपनाये जा रहे उच्चीकृत मानकों को ध्यान में रखते हुए तकनीकी उन्नयन एवं परीक्षण संबंधी आधारभूत अवस्थापना पर किया जाने वाला निवेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता की वृद्धि हेतु महत्वपूर्ण है। अतः उद्योगों को अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों, प्रदूषण नियंत्रण सुविधाओं एवं मानकों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

9.1 प्रदेश सरकार की वर्तमान तकनीकी उन्नयन योजना को पुनर्निर्मित करते हुए इस प्रकार प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे महत्तम ढंग से उच्चीकृत तकनीक को विभिन्न क्षेत्रों जैसे उत्पाद गुणवत्ता सुधार, पर्यावरण सुधार, ऊर्जा-दक्षता, गुणात्मक-पैकेजिंग, परीक्षण-सुविधाएं एवं कंप्यूटरीकृत गुणवत्ता-नियंत्रण को बढ़ावा मिले। इस हेतु उद्यमियों को उनके द्वारा इन उद्देश्यों के लिए वित्त पोषित परियोजनाओं पर ब्याज उपादान सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना को दो श्रेणियों के उद्योगों- सूक्ष्म उद्योगों एवं लघु उद्योगों के लिए क्रियांवित किया जाएगा।

9.2 सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को गुणात्मक उत्पादों के विनिर्माण हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे वे विभिन्न मानकों जैसे जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट (ZED) एवं भारतीय मानक संस्थान के मूल्यांकन स्तर पर खरे उतर सकें। इस उद्देश्य हेतु भारत सरकार की विभिन्न संगठनों जैसे: ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) तथा क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QIC) के साथ समन्वय सुनिश्चित किया जाएगा।

9.3 प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों तथा अन्य तकनीकी संस्थानों में इंक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा उद्यमियों के साथ इसका संयोजन सुनिश्चित कराया जाएगा। राज्य के आई0आई0टी0 तथा अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों, एम.एस.एम.ई. टेक्नोलॉजी केंद्रों एवं भारत सरकार के विशिष्ट संस्थानों के साथ समन्वय करके एक तंत्र को सुदृढ़ किया जाएगा तथा इसके लिए एक सूचना तंत्र उद्योग एवं उद्यम निदेशालय स्तर पर विकसित किया जाएगा।

9.4 रिसर्च एंड डेवलपमेंट गुणवत्ता सुधार तथा प्रोडक्ट डेवलपमेंट हेतु प्लांट मशीनरी और उपकरणों पर लिये गए व्यय पर उत्पादन की तिथि से 5 वर्ष के लिए 5% वार्षिक दर से ब्याज अनुदान की प्रतिपूर्ति की जाएगी, जिससे इन उद्योगों द्वारा टेस्टिंग लैब, क्वालिटी सर्टिफिकेशन लैब, टूल रूम की स्थापना की जा सके। इसकी अधिकतम सीमा रु. 50.00 लाख तक होगी।

10- विपणन

प्रदेश में निर्मित उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग अनुरूप विपणन सामर्थ्य को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। राज्य सरकार इस क्षेत्र की कमी को पूरा करने के लिए उपयुक्त कदम उठाएगी।

10.1 सरकार समर्थित लॉजिस्टिक्स के साथ ही कॉमर्स पोर्टल का विकास कराया जाएगा, जिसके माध्यम से परंपरागत शिल्पकार को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार से जोड़ा जाएगा।

10.2 वर्तमान यू0पी0 बिजनेस मार्ट पोर्टल को सुदृढ़ किया जाएगा एवं इसका प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

10.3 लखनऊ में एक स्थाई प्रदर्शनी केंद्र का विकास किया जाएगा तथा राज्य के चयनित शहरों में एक्सपो मार्ट की स्थापना की जाएगी।

10.4 उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन परिषद को इस प्रकार सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में सहभागिता और अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन को आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।

10.5 हस्तशिल्प एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों को विपणन सहायता प्रदान की जाएगी। उत्तर प्रदेश व्यापार प्रोत्साहन प्राधिकरण को इस प्रकार सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे वह राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर प्रदर्शनी एवं क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन करते हुए हस्तशिल्पियों एवं उद्यमियों की सहभागिता को प्रोत्साहित कर सके।

11- सूक्ष्मय, लघु एवं मध्य‍म उद्यम की विद्यमान इकाईयों के विस्तावर एवं उन्नटयन में सहयोग-

वर्तमान नीति के विजन में विद्यमान इकाईयों के विस्तायर एवं उन्न यन के माध्याम से रोजगार सृजन एवं प्रदेश के विकास को बढावा दिये जाने को अपेक्षित महत्तान प्रदान की गयी है। इस हेतु जिला उद्योग केन्द्रों को जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्सा‍हन केन्द्र के रूप में विकसित किया जायेगा, जो कि उद्यमियों के लिये सलाहकार एवं मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेगा।

11.1 विद्यमान इकाईयों के विस्ताकर के लिये भूमि की सीमित उपलब्ध्ता को दृष्टिगत रखते हुये निर्धारित नियम एवं शर्तों के अनुसार FAR बढ़ाया जाएगा। इसके उपयोग से विद्यमान इकाईयां अपना विस्ताअर कर सकेंगी।

11.2 उद्यमी द्वारा उद्योग विभाग के आस्थासनों के अन्त।र्गत भूखण्डा के आवंटन के उपरान्तय किसी कारणवश निर्धारित समयावधि में उद्यम की स्थाअपना नहीं करने पर भूखण्डह को विभाग में समर्पण और जमा धनराशि की वापसी की नीति को तर्कसंगत बनाया जायेगा, जिससे यह रिक्तस भूमि नये उद्यमियों को बिना किसी विवाद के आवंटित की जा सके।

11.3 सूक्ष्मि, लघु एवं मध्य म उद्यम इकाईयों के तकनीकी उन्नसयन के लिये भारत सरकार के अन्तार्गत चलायी जा रही क्लऔस्टमर योजनाओं को अधिक से अधिक लाभ देने हेतु प्रदेश में अधिकाधिक क्लरस्ट‍र विकसित किये जायेंगे तथा इकाईयों के समग्र लाभ के लिये कामन फैसिलिटी सेन्ट‍र बनाये जायेंगे, जिससे सभी इकाईयों को अधिक लागत की उच्चल तकनीक का लाभ प्राप्ता हो सके।

11.4 स्था नीय निर्दिष्टस कृषि उत्पा्दों का उचित मूल्यइ संवर्द्धन करने तथा पैकेजिंग आदि के लिये मण्डी् परिषद द्वारा निधि की उपलब्धकता को देखते हुये एवं मण्डीे समिति की आवश्यिकताओं में इसकी उपयोगिता का आकलन करते हुये मण्डीे स्थतलों में कामन फैसिलिटी सेन्टउर स्थानपित किये जायेंगे।

11.5 आवश्यककतानुसार औद्योगिक आस्थाउनों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में एफ्लुऐनट ट्रीटमेंट पलाण्टआ (Effluent Treatment Plant), कामन एफ्लुऐनट ट्रीटमेंट पलाण्टट (Common Effluent Treatment Plant) तथा सामान्यt सुविधा केन्द्र (Common Facility Centre) लगाने हेतु विकासकर्ता/कार्यदायी संस्थाव को प्रोत्साटहित किया जायेगा।

11.6 सूक्ष्मn, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाईयों को प्रोत्सााहन देने के लिये भारत सरकार द्वारा देश में स्था पित उत्पाेदों के प्रोत्सााहन के अनुरूप प्रदेश में स्थित एवं स्थारपित इकाईयों से क्रय योजना को क्रियान्वित किया जायेगा।

11.7 रूग्णई इकाई सूक्ष्मव, लघु एवं मध्यशम उद्यमों में कम प्रतिस्पइर्द्धात्मिक क्षमता के कारण व प्रबंधकीय, तकनीकी तथा अन्यक कारकों के फलस्वकरूप उद्यमों रूग्णवता की स्थिति उत्पनन्नन होती है। रूग्णघ इकाईयों के पुनर्वासन के संबंध में भारत सरकार की योजना को सार्वजनिक क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र क्षेत्र के बैंक से समन्वसय करते हुये प्रभावी ढंग से लागू किया जायेगा।

11.8 उद्यमियों की समस्यागओं के समाधान के लिये वेब आधारित आन लाइन पोर्टल की व्यरवस्था् एवं काल सेन्टयर की प्रणाली को क्रियान्वित किया जायेगा।

12- अन्य

12.1 प्रदेश में विभिन्न नीतियों जैसे उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति, जैव ऊर्जा नीति, आईटी नीति, बायोटेक्नोलॉजी नीति आदि नीतियां प्रभावी है। एक ही मद में विभिन्न नीतियों के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं में से एक उद्यम को एक ही नीति के अंतर्गत सुविधा अनुमन्य होगी।

12.2 सूक्ष्मि, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग इस नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिए नोडल विभाग होगा।

12.3 इस नीति के क्रियान्वयन के लिए संबंधित विभागों द्वारा सुसंगत शासनादेश निर्गत किए जाएंगे।

13- उपर्युक्तस उत्ततर प्रदेश सूक्ष्म्, लघु एवं मध्य म उद्यम प्रोत्साोहन नीति-2017 में समय की आवश्कउताओं के अनुरूप किसी प्रकार का परिमार्जन/परिवर्द्धन सक्षम स्तएर के अनुमोदनोपरान्तु किया जा सकेगा।

14- कृपया उपर्युक्त नीति का प्रत्येक स्तर पर अनुपालन सुनिश्चित करने का कष्ट करें।

भवदीय
( अनिल कुमार )
प्रमुख सचिव।

संख्या-22/2017/869/18-2-2017-80(ल0उ0)/2017 दिनांक

प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित।

1- महालेखाकर (लेखा एवं हकदारी) प्रथम/द्वितीय तथा (आडिट-प्रथम /द्वितीय) उत्तर प्रदेश इलाहाबाद।

2- प्रमुख सचिव, श्री राज्यपाल] उत्तर प्रदेश, राजभवन, लखनऊ।

3- प्रमुख सचिव, मा0 मुख्यमंत्री जी] उत्तर प्रदेश।

4- सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली।

5- स्टाफ आफीसर, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन।

6- स्टाफ आफीसर, कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश शासन।

7- समस्त प्रमुख सचिव/सचिव उ0प्र0 शासन को इस आशय से प्रेषित कि कृपया अपने अधीनस्थ समस्त विभागाध्यक्षों/कार्यालयाध्यक्षों को शासनादेश अनुपालन हेतु सम्यक निर्देश अपने स्तर से जारी करें।

8- सचिवालय के समस्त अनुभाग।

9- गार्ड फाइल।

आज्ञा से
( पन्नाल लाल )
उप सचिव।